Ministry of Electronics & Information Technology
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इतिहास

इतिहास

ई.आर.नेट की शुरुआत 1986 में  इलेक्ट्रानिक्स विभाग (DoE) द्वारा हुई थी, जिसके लिए भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम (UNDP) के माध्यम से धनराशि जुटाई गई थी, इसमें आठ प्रमुख संस्थान --एनसीएसटी (नेशनल सेंटर फॉर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी) मुंबई, आई.आई.एससी. (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस) बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, खड़गपुर और चैन्ने स्थित पांच आई.आई.टी. (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)  तथा इलेक्ट्रानिक्स विभाग, नई दिल्ली भागीदारी करने वाली एजेंसियां थी।  ई.आर.नेट की शुरुआत एक मल्टी प्रोटोकॉल नेटवर्क के रूप में हुई जिसमें बैकबोन के लीज्ड-लाइन पोर्शन पर टीसीपी/आईपी और ओएसआई-आईपी दोनों प्रोटोकॉल स्टेक्स चलते थे। तथापि, 1995 से, कुल मिलाकर समस्त ट्रेफिक टीसीपी/आईपी पर ले जाया जा रहा है।

देश में नेटवर्किंग के प्रादुर्भाव में ई.आर.नेट (एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। व्यावहारिक रूप से इसने भारत में इंटरनेट सेवा की शुरुआत की और नेटवर्किंग के क्षेत्र में, विशेषकर प्रोटोकॉल सॉफ्टवेयर इंजीनियरी में राष्ट्र की क्षमता का विकास किया है। यह ने केवल एक वृहद नेटवर्क तैयार करने में सफल रहा है जो भारत के बुद्धिजीवी वर्ग--अनुसंधान एवं शैक्षणिक वर्ग को विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में नेटवर्किंग के क्षेत्र में ई.आर.नेट रुझान तय करने लगा है।  संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम (UNDP) ने अभी तक जितने कार्यक्रमों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई है, उनमें से ई.आर.नेट सर्वाधिक सफल रहा है। भारत सरकार भी 9वीं योजना में निधि के आबंटन के द्वारा परियोजना को और सुदृढ़ बनाने और एक सोसाइटी के रूप में एक नया संगठनात्मक ढ़ांचा तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश के विज्ञान वर्ग ने भी मूलभूत सेवाओं के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास कार्यों में ई.आर.नेट के अंशदान को मान्यता प्रदान की है। केबिनेट की वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति ने ई.आर.नेट को देश में सिगनल एवं दूरसंचार नेटवर्क की लांचिंग के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में अपनाया है।