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साइबर फोरेंसिक

साइबर फोरेंसिक

इंटरनेट के बढ़ते प्रसार के साथ-साथ विश्व स्तर पर तकनीक पर बढ़ती निर्भरता से साइबर हमलों का खतरा भी बढ़ गया है। इन साइबर खतरों से निबटने के लिए तैयारी के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने ई.आर.नेट इंडिया को निधि उपलब्ध कराई है ताकि सी.बी.आई.एकेडमी में अपनी तरह का एक पहला साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित किया जा सके जिसे उन्नत फॉरेंसिक टूल्स से सुसज्जित रखा जाए। इस प्रोजेक्ट में सी.बी.आई. के अधिकारियों को उच्च गुणवत्ता वाली कंप्यूटर फॉरेंसिक ट्रेनिंग दिए जाने पर भी जोर दिया गया है।

इस स्थापित की जा रही  फॉरेंसिक लैब में उन्नत फॉरेंसिक टूल्स लगाए जा रहे हैं जिसमें डिजिटल उपकरणों, जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, सैटेलाइट फोन और जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम)  के सहारे ई-एविडेंस को एकत्र करने और घटनाओं की क्रमवार जानकारी जुटाने में उपयोगी होंगे। इससे जो जानकारी और सबूत उत्पन्न होंगे उनसे साइबर अपराधों की मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग करने में सहायता मिल सकेगी।

लैब में साइबर फॉरेंसिक विश्लेषण और प्रक्रिया पर प्रशिक्षण देने और साइबर अपराध गतिविधियों के बारे में तकनीक के माध्यम से साक्ष्य जुटाने की सुविधा भी है।इस प्रोजेक्ट का एक मुख्य उद्देश्य पूरे देश में आपराधिक जांच में लगे स्टाफ को प्रशिक्षण देना, उन्हें साइबर अपराध जांच के तरीकों से अवगत कराना भी है ताकि वे साइबर कानून और साइबर जांच और साक्ष्य की कड़ियों के प्रबंधन की जटिलतओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती ने केवल साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित करना है बल्कि जांचकर्ताओं को फॉरेंसिक उपकरणों के प्रभावी उपयोग के लिए अपेक्षित कौशल प्रदान करना है।